मुंशी प्रेमचन्द का जीवन परिचय
जीवन परिचय :-
प्रेमचंद के बचपन का नाम धनपत राय था इनका जन्म सन 1880 ई में उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में लम्ही नामक गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम अजब राय तथा माता का नाम आनंदी देवी था। इनके पिता की मृत्यु की अल्पायु में ही हो जाने के कारण प्रेमचंद जी का बचपन बड़े अभाव में व्यतीत हुआ। कुछ परेशानियों के कारण इंटर की परीक्षा नहीं दे सके इन्होंने शिक्षा विभाग से सव डिप्टी इंस्पेक्टर हो गए। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी से प्रेरणा पाकर इन्होंने ‘प्रेमचंद’ नाम धारण किया। 56 वर्ष की अल्पायु में सन 1936 ई में इनका स्वर्गवास हो गया।
साहित्यिक परिचय :-
साहित्य के क्षेत्र में इनका अतुलनीय योगदान रहा। इन्होंने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देकर आजीवन साहित्य की सेवा की। इन्होंने “मर्यादा” और “माधुरी” नाम की पत्रिका का संपादन किया। इनका साहित्य समाज सुधार और राष्ट्रीय भावना से अनूप्रेरित है। वह अपने समय की सामाजिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों का पूरा प्रतिनिधित्व करता है। किसानों की दशा, सामाजिक वन्दनो में तड़पती नारियों की वेदना, वर्ण व्यवस्था की कठोरता के भीतर श्रस्त हरिजनों की पीड़ा का मामिर्क चित्रण मिलता है।
कृतियां :- उपन्यास - सेवा सदन, मिर्मला, रंगभूमि, गोदान आदि
कहानी संग्रह - मानसरोवर,
नाटक - कर्बला, संग्राम, रूठी रानी, प्रेम की वेदी
निबंध - कुछ विचार
भाषा शैली :- इनकी भाषा उर्दू मिश्रित खड़ी बोली है। इनकी शैली वर्णनात्मक, हास्यप्रधान, एवं भावात्मक है।
हिंदी साहित्य में स्थान :- प्रेमचंद जी सच्चे अर्थों में हिंदी साहित्याकाश के चंद्रमा है। कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में इनका स्थान सर्वोपरि है।